Friday, 2 September 2016

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उसके जलवों का ऐसा असर हो गया॥
दिल ये दुनिया से मैं बेख़बर हो गया॥ 
सूझता कुछ नहीं मुझको उनके सिवा, 
वो ही मंज़िल वही हमसफ़र हो गया..

हो कैसे सकता है तू कुछ मेरे बगैर...
जब मै भी नही कुछ तेरे बगैर....

ऐसा कौन आ गया है तेरी जिदंगी में....जो तुझे मेरी याद आने का मौका ही नहीं देता..
क्यूँ तुझको मनाने को तेरे पाँव पढूँ...
मुझे मोहब्बत है, तुझसे कोई मतलब तो नही...

कब तक आँख मेँ कचरा गिर जाने का बहाना करती रहूँ...
ये लो आज सरेआम कहती हूँ,
मै तुम्हे याद कर के रोती हूँ...
यूँ तो सिखाने को जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है;
मगर झूठी हँसी हँसने का हुनर तो मोहब्बत ही सिखाती है

इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा,..जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!‪

धुएं की तरह उडना सीखिए साहब... 
वरना आग की तरह लोगो ने जलना सिख लिया है...

आज उसने एक बात कह के मुझे रुला दिया...जब दर्द बर्दाश्त नही होता तो मोहब्बत क्यों की.

जी लो हर लम्हा , बीत जाने से पहले,
लौट कर यादें आती है, वक़्त नहीं...!!

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की,तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं..!!

ये कैसा सिलसिला है तेरे और मेरे दरमियान,
फासले भी बहुत है और मोहब्बत भी

आजकल की लडकियां हर #DP में शकल बदल लेती है,
समझ नहीं आता की लड़की है या इच्छाधारी नागिन !!

हवायें फैसला करेगी नई रोशनी का....!
अब जिस चिराग मे दम होगा..
वही जलेगा...!!

कैसे करूँ शुक्रिया तेरी मेहरबानियों का मेरे खुदा…! 
मुझे माँगने का सलीका नहीं है...! 
पर तू देने की हर अदा जानता है !!

कैसे कह दूँ कि थक गया हूँ मैं.....! 
न जाने किस किस का हौसला हूँ मैं।..! 

दुनिया में आये है.., 
कुछ कर दिखाएंगे..!
पत्थर को भी ज़िंदादिल बनायेंगे....., 
जहाँ तक जायेगी ये नजर...! 
हर दिल में शमा जलायेंगे...!! 

सर गिरे सजदे में.., 
दिल में दग़ा-बाज़ी हो...! 
ऐसे सजदों से भला.! 
कैसे..., 
खुदा राज़ी हो .......!! 

पहुँच गये हैं कई "राज़".....! 
मेरे "गैरों" के पास...!! 
कर लिया था "मशवरा".....! 
इक रोज़ "अपनों" के साथ।! 

तारीफ़ अपने आप ही करना फ़िज़ूल हैं.....! 
ख़ुशबू तो ख़ुद बताएगी.., 
जैसा भी फ़ूल है.....!! 

पाना है जो मुकाम वो अभी बाकि है.., 
अभी तो आये है जमी पर.! 
आसमां की उड़ान अभी बाकि है....!! 
अभी तो सुना है सिर्फ लोगो ने मेरा नाम.....! 
इस नाम की पहचान बनाना अभी बाकि है.....!! 

बस वो पूछ लेते... ज़रा मिज़ाज मेरा..! 
कितना आसान हो जाता इलाज़ मेरा..!!

न किसी हमसफ़र ना हमनशीं से निकलेगा.....! 
हमारे पाँव का काँटा, हमीं से निकलेगा...!! 

Mai Mahez Ek Diya Nahi hu Ki 
Waqth ki andhiyon se bujh Jaunga.....!!
Main Hoon Ek Aftaab Ki Maanind
Mera to Daor Aayega...!!

खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ दोस्तों ।
सिक्के हमारे मिजाज के .....चलेंगे जिस रोज ।।।

दामन फैलाये बैठे हैं....., 
अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही...!! 
माँगू तो अब क्या माँगू....! 
जब तेरे सिवा कुछ याद नही.....!! 

लगता है आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है........! 
चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफ़ा है........!! 
नींद को ढूँढ के लाने की दवाएँ है बहुत…..! 
काम मुश्किल तो कोई ख़्वाब हसीं ढूँढना है....!! 
" वक्त " तू वो कर जो किस्मत में लिखा है.....! 
मुझे वो करने दे जो मेरे " दिल " ने कहा है.........!! 💕

क्या खूब ही होता..! 
दुख अगर रेत के होते....! 
हाथो से गिरा देते, पेैरों से उङा देते....!! 

रो रहा है आसमान भी माहे रमजान अलविदा कहकर ......!
मेरे शहर के लोग समझ रहे हे.., बारिश हो रही है.....!!

बारिश के बाद रात आईना सी थी... !
एक पैर पानी में पड़ा ,
और चाँद हिल गया.....!!

कभी चाल, कभी मकसद, कभी मंसूबे यार होते हैं..!!
इस दौर के 'सलाम' के भी मतलब हजार होते हैं..!!

ये जो तुम नज़रों से दिल को हलाल करती हो ....!
करती तो जुल्म हो, 
पर कमाल करती हो.....!!

या तो हमें मुकम्मल चालाकियाँ सिखाई जाए.....!
नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियाँ बसाई जाए....!!

फैंसला ये है की अब आवाज नहीं देनी किसीको,
हम भी देखे कौन कितना तलबगार है हमारा !!

माफी चाहता हूँ ..,
गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया ..,
जिसे तेरी कदर नहीं !!

अभी शीशा हूँ, टूटा हूँ, बहुत चुभता हूँ सबको..!
कल आईना बनूँगा..,
मुझमे सब ख़ुद को तलाशेंगे .....!!
होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह....!
तो मैं तेरे शहर में कभी धूप ना आने देता।!

मिलेगी हमको भी अपने नसीब की खुशियाँ...!
बस इंतजार है ...,
की कब ये कमाल होता है !!

जिन्हें गुस्सा आता है ..,
वो लोग सच्चे होते हैं ...!
मैंने झूठों को अक्सर मुस्कुराते हुए देखा है.......!!

मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं, 
दिन-ब-दिन....
ना जाने इनको मेरे, घर का पता कौन देता है.....!!

हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे.....!!
फिर तेरी याद आई और..,
इन्हें जमानत मिल गई.......!!

अगर इज़ाज़त हो तो मांग लूं तुम्हें.....!
सुना हैं तक़दीर लिखी जा रही हैं....!!

पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है....!
जाने न जाने गुल ही न जाने..,
बाग़ तो सारा जाने है......!!.

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